हाल ही में गुजरात के राजकोट के दो बेटियों ने सराहनीय कार्य किया है। ये दोनो बेटियो के पिता की मौत कोरोना में ऑक्सीजन की कमी से हुई थी। अब दोनों बेटियों ने पिता की अस्थि विसर्जन के बजाय जमीन में गाड़कर सबसे ज्यादा ऑक्सीजन देने वाले 5 पेड़ लगाए हैं।
राजकोट में रहने वाले और नौकरी का काम कर अपने परिवार का भरण पोषण करने वाले भीमजीभाई बोड़ा की कुछ दिन पहले कोरोना से मौत हो गई थी। उनकी पत्नी हस्मिताबेन बोडा राजकोट के कृष्णा इंटरनेशनल स्कूल में शिक्षिका के रूप में काम करती हैं और उनके संतान के रूप में उनकी दो बेटियां हैं। जिस वजह से भीमजीभाई की मृत्यु के बाद परिवार तबाह हो गया था।
भीमजीभाई की मृत्यु के बाद उनकी बेटी आरज़ू बोड़ा ने अपने पिता के हिंदू धर्म के अनुसार अंतिम संस्कार किया था। उन्होंने पिता की आत्मा की शांति के लिए शांति यज्ञ भी किया था। हालांकि अस्थि को पानी में विसर्जित करके पानी को दूषित करने के बजाय उसने कुछ अलग करने का फैसला किया।
ये दो बेटियों ने पांच अलग-अलग जगहों पर हड्डियों को खोदकर जमीन में गाड़ दिया और पीपल, वड़, पीपल, उमरो और परसपीपल जैसे पांच पेड़ लगाए। ताकि वृक्षों के रूप में उनकी स्मृति स्थायी रूप से बनी रहे। इसके साथ पेड़ होने से पक्षियों को आश्रय और भोजन मिलता है और पर्यावरण को भी लाभ होता है।