स्कूल के चपरासी की बेटी बनी IPS ऑफिसर, बच्चो को पढ़ाने के लिए चलाती थी दुकान…

हमारे देश में ऐसे कई लोग हैं जो अपने सपनों को पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत करते हैं और अपने लक्ष्य तक पहुंचते हैं। ये लोग अपने लक्ष्य तक पहुंचने के लिए बहुत कोशिश करते हैं और सभी बुरी स्थितियो सामना करते है।

आज हम आपको ऐसे ही एक बहादुर बेटी के बारे में बात करने जा रहे है, जिन्होंने आईपीएस बनने के अपने सपने को पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत की है, ऐसी आर्थिक स्थिति का भी सामना किया है और कठिनाइयों का सामना करने के बाद भी अपने सपने को पूरा किया है।

देश की इस बहादुर बेटी का नाम विशाखा भदानी है, जो 2018 IPS बैच से आती हैं। वह नासिक की रहने वाली है। उनके पिता अशोक कक्षा-4 में एक साहूकार के रूप में एक स्कूल में कार्यरत थे, उनके चार बच्चे थे जिनमें बी पुत्रियाँ तथा एक पुत्र विशाखा सबसे छोटी पुत्री थी। विशाखा के पिता का सपना था कि उनके बच्चे अच्छी तरह पढ़-लिख कर आगे बढ़ें। लेकिन उसकी आर्थिक स्थिति इतनी अच्छी नहीं थी कि वह घर के खर्चे के साथ-साथ बच्चों को अच्छी तरह से पढ़ा सके। जिस वजह से उन्होंने स्कूल के ठीक बाहर एक छोटी सी दुकान खोली थी, जिससे बच्चो की पढ़ाई में मदद मिल सके।

उन दिनो में विशाखा भाई-बहन के साथ पुस्तकालय में जाकर पढ़ाई करते थे। उनकी मेहनत को देखकर प्रोफेसरों ने भी उनका मार्गदर्शन किया और उनका उत्साह बढ़ाया।

19 साल की उम्र में विशाखा की मां का देहांत हो गया था, उन्हें घर की देखभाल करने के लिए छोड़कर घर का काम करने वाला कोई नहीं था, इसलिए उन्हें पढ़ाई के साथ-साथ घर का काम भी करना पड़ता था।

विशाखा और उसके भाई ने बीएमएस में प्रवेश के लिए एक प्रतियोगी परीक्षा पास की थी। जिसके बाद उन दोनों का चयन हो गया, फिर उसके पिता ने बच्चों को पढ़ाने के लिए कर्ज लिया और बड़ी बेटी की शादी भी करवा दी।

अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद, विशाखा ने यूपीएससी की तैयारी शुरू कर दी और अपने दूसरे प्रयास में उन्होंने यह एक्जाम भी पास कर ली थी।

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