निर्दलीय विधायक ने जाति प्रमाण रद्द करने के फैसले को दी हाईकोर्ट में चुनौती

गांधीनगर. पंचमहाल जिले के मोरवाहडफ (अनुसूचित जाति सुरक्षित) विधानसभा सीट से जीते निर्दलीय विधायक भूपेन्द्र खांट ने उनके आदिवासी होने के जाति प्रमाण पत्र को राज्य सरकार की एक जांच समिति के रद्द करने के निर्णय को उच्च न्यायालय में चुनौती दी। 38 वर्षीय खांट अन्य पिछड़ी जाति से संबंध रखने वाले पिता वीके खांट और गत चुनाव में इसी सीट से जीतने के तुरंत बाद दिल का दौरा पड़ने से मृत आदिवासी समुदाय की पूर्व विधायक सविता खांट के बेटे हैं। उनके जाति प्रमाण पत्र के रद्द हाेने से उनके विधानसभा की सदस्यता गंवाने का खतरा पैदा हो गया है।

– उन्होंने बताया कि इस फैसले को चुनौती दी है। सोमवार को (22 जनवरी) को उनकी अर्जी पर हाई कोर्ट में सुनवाई होगी। वह अदालत के निर्णय को स्वीकार करेंगे। खांट का कहना है कि वह राजनीति के शिकार बने हैं।

खतरे में पड़ गया था विधायक का पद

कमेटी की रिपोर्ट और केंद्र तथा राज्य सरकार के नियमों का अध्ययन करने के बाद सर्टिफिकेट को नकली घोषित करने का आदेश दिया गया है। हाईकोर्ट के फैसले के बाद िनर्वाचन आयोग ट्राइबल कमेटी की रिपोर्ट पर निर्णय लेगा। नकली प्रमाण पत्र के मामले में भूपेंद्र खांट का विधायक का पद खतरे में पड़ गया था।

कांग्रेस से बगावत कर निर्दलीय चुनाव लड़े थे

खांट ने कांग्रेस से बगावत कर निर्दलीय चुनाव जीता था और इसके बाद फिर से कांग्रेस को समर्थन देने की घोषणा की थी। कुछ स्थानीय लोगों ने उनके आदिवासी होने पर सवाल खड़ा करते हुए उनके जाति प्रमाण पत्र को चुनौती दी थी। इसके बाद इस मामले की जांच के लिए समिति गठित की गई थी। राज्य के आदिवासी विकास आयुक्त आरजे माकड़िया ने उनके जाति प्रमाण पत्र के निरस्त होने की शुक्रवार को जानकारी दी थी।

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