हर आदमी सपने देखता है और उन सपनों को पूरा करने के लिए दिन-रात मेहनत करता है। जिसमे कई लोग अपने सपने पूरे कर सकते हैं और कई लोगों के सपने अधूरे रह जाते हैं, लेकिन जब कोई सपना देखता है और उसे पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत करता है, तो सफलता उसके कदम चूमती है।
आज हम आपको एक ऐसा ही किस्सा बताने जा रहे हैं, जो महाराष्ट्र के सोलापुर में पैदा हुए रमेश घोलप का है। उनके जीवन में एक समय ऐसा भी आया था, जब उनको अपनी मां के साथ ब्रेसलेट बेचने का काम करना पड़ता था। लेकिन आज वह एक आईएएस अधिकारी हैं।
भले ही उनका जन्म गरीबी में हुआ हो लेकिन उन्होंने अपने जीवन संघर्षों से कभी हार नहीं मानी, यह आज लाखों युवाओं के लिए प्रेरणा बन गए है। आज रमेश घोलप को झारखंड में उपयुक्त पद पर नियुक्त किए गज है।
रमेश के पिता उसकी पंक्चर की दुकान से 4 लोगों के परिवार का भरण-पोषण कर रहे थे, लेकिन अत्यधिक शराब पीना उनके लिए घातक साबित हुआ और उन्हें अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा। परिवार का भरण-पोषण करने के लिए उनकी मां ने आसपास के गांवों में चूड़ियां बेचना शुरू कर दिया, रमेश और उनके भाई ने इस काम में अपनी मां की मदद करना शुरू कर दिया, लेकिन किस्मत रमेश के साथ नहीं दे रही थी, इस दौरान रमेश के बाएं पैर में पोलियो हो गया।
रमेश के गांव में पढ़ाने के लिए केवल एक प्राथमिक विद्यालय था, रमेश को बचपन से ही पढ़ने का शौक था इसलिए उसे आगे पढ़ने के लिए उसके चाचा के पास भेज दिया गया। रमेश जानता था कि शिक्षा से ही उसके परिवार की गरीबी दूर हो सकती है, इसलिए उसने मन लगाकर पढ़ाई की था।
रमेश अध्यापन में भी बहुत प्रतिभाशाली थे जिसने उन्हें अपने शिक्षकों के दिलों में जगह बनाई थी। जब उनके पिता का देहांत हुआ तब वे 12वीं की परीक्षा की तैयारी कर रहे थे। उस समय परिवार की गरीबी ऐसी थी कि उनके पास अपने पिता के अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए 2 रुपये भी नहीं थे। किसी भी तरह पड़ोसियों की मदद से वह अपने पिता की अंतिम यात्रा में शामिल हुए थे।